
विश्व ब्राह्मण एवं सवर्ण संघ
Join us in creating peace and strength among Brahmins, inspired by our ancestors Parashurama and Brahma.


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ॐ ब्रह्मणे नमः
OUR VISION
Empowering Brahmins worldwide for peace and unity, inspired by our ancestors Parashurama Bhagwan and Brahma Ji. We request all the Brahmans worldwide to Join us and create a new Era, we have to rise again to create balance of The Universe.
When Our Creator Brahma Ji created the universe, he didn't know what will happen if it'll be handed over to the mankind, the mankind has ruined the beautiful world, Shree Parashurama Bhagwan during Satyuga created balance by conquering, Shree Ram Bhagwan during Treta Yuga created the balance by conquering, Shree Krishna Bhagwan during Dwaper Yuga created the balance by conquering, now we predict and imagine May the new carnation Kalki going to create the balance, but it's our duty being Ansh of Brahma is to create Balance in the universe until the unseen but predicted Kalki Avatar Rises.
So Rise again for the beautiful universe of Brahma.


Empowering Brahmins Worldwide
Creating peace and unity among Brahmins globally through our dedicated initiatives and support.
हमारे पूर्वजों परशुराम भगवान और ब्रह्मा जी से प्रेरित होकर, दुनिया भर में शांति और एकता के लिए ब्राह्मणों को सशक्त बनाना ही हमारा कर्तव्य एवं धर्म है।हम विश्व के सभी ब्राह्मणों से अनुरोध करते हैं कि वे हमारे साथ जुड़ें और एक नए युग का निर्माण करें, हमें ब्रह्मांड में संतुलन बनाने के लिए फिर से उठना होगा।
Cultural Heritage Support
We promote and preserve the rich cultural heritage of Brahmins, fostering pride and identity. We look forward to change their conditions (financially & physically) as well.


Community Empowerment
Our programs aim to empower Brahmins through education, resources, and all kind of support. We Support financially unstable Brahmans with some work and Jobs. We try to help our people in each possible way.


WHO WE ARE
अहम् ब्रह्मास्मि।
परमपिता ब्रह्मा जी
भगवान ब्रह्मा जी हिन्दू धर्म के त्रिदेवों में से एक हैं, और इन्हें सृजनकर्ता के रूप में पूजा जाता है। भगवान ब्रह्मा का मुख्य कार्य सृष्टि का निर्माण करना है। वे सृष्टि के उत्पत्ति, विकास और समापन के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आइए, भगवान ब्रह्मा के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करें:
1. भगवान ब्रह्मा का स्वरूप
भगवान ब्रह्मा को चार मुखों वाला देवता कहा जाता है, जो चार वेदों का प्रतीक माने जाते हैं। उनके चार हाथों में एक-एक वेद, कलम, कमल और माला होती है। ब्रह्मा के चार मुखों से चारों वेदों (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद) का प्रसार हुआ।
2. भगवान ब्रह्मा का जन्म
भगवान ब्रह्मा के जन्म के विषय में विभिन्न पुराणों में वर्णन मिलता है। एक प्रमुख कथा के अनुसार, भगवान ब्रह्मा का जन्म भगवान विष्णु के नाभि कमल से हुआ था। वह सृष्टि के निर्माण हेतु भगवान विष्णु के आदेश से उत्पन्न हुए थे।
3. भगवान ब्रह्मा के कार्य
भगवान ब्रह्मा सृष्टि के सृजनकर्ता माने जाते हैं। वे न केवल जीवों का निर्माण करते हैं, बल्कि संसार के प्रत्येक तत्व का प्रारंभ भी करते हैं। ब्रह्मा जी के द्वारा किए गए सृजन को रचनात्मकता का प्रतीक माना जाता है।
4. भगवान ब्रह्मा की पत्नी
भगवान ब्रह्मा की पत्नी का नाम "सारस्वती" है, जो ज्ञान और संगीत की देवी मानी जाती हैं। वह ब्रह्मा के साथ सृजन के कार्य में सहायक रहती हैं और वेद, शास्त्र, संगीत एवं कला के क्षेत्र में सर्वोत्तम मानी जाती हैं।
5. भगवान ब्रह्मा का महत्व
ब्रह्मा जी के बिना सृष्टि का निर्माण संभव नहीं था, इसलिए उन्हें सृष्टिकर्ता और सृजन के देवता के रूप में पूजा जाता है।
त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) के रूप में भगवान ब्रह्मा को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है, जबकि विष्णु पालन और महेश संहार करते हैं।
6. ब्राह्मा जी से जुड़ी प्रमुख कथाएँ
ब्रह्मा और शिव की कथा: एक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने ब्रह्मा को यह समझाने का प्रयास किया कि सृष्टि के सृजन के बाद उनका कार्य समाप्त हो जाता है, और अब उनके स्थान पर भगवान विष्णु का कार्य है।
ब्रह्मा की पत्नी सरस्वती: ब्रह्मा की पत्नी देवी सरस्वती के साथ ब्रह्मा जी का संबंध भी बहुत महत्वपूर्ण है। सरस्वती ने ब्रह्मा जी को अपनी चेतना प्रदान की जिससे वे ज्ञान और सृजन में सक्षम हो सके।
7. भगवान ब्रह्मा के मंदिर
भगवान ब्रह्मा के कुछ प्रमुख मंदिर भारत में स्थित हैं:
पुष्कर (राजस्थान): पुष्कर में भगवान ब्रह्मा का एकमात्र प्रसिद्ध मंदिर है, जहां सालों भर लाखों श्रद्धालु आते हैं।
8. भगवान ब्रह्मा के बारे में शास्त्रों में उल्लेख
भगवान ब्रह्मा का उल्लेख विभिन्न हिंदू ग्रंथों में हुआ है, जिनमें प्रमुख हैं:
विष्णु पुराण
शिव पुराण
ब्रह्मा संहिता
भगवद गीता
9. भगवान ब्रह्मा से संबंधित श्लोक (ब्रह्मा संहिता से)
"इश्वर: परमं कृष्णं सच्चिदानंदविग्रहं |
अनाधि राधि गोविन्दं सर्वकारणकारणम् ||"
इस श्लोक के अनुसार, भगवान ब्रह्मा का कार्य सिर्फ सृष्टि का निर्माण करना है, जबकि वास्तविक ईश्वर भगवान श्री कृष्ण हैं जो सृष्टि के कर्ता हैं।
10. भगवान ब्रह्मा के बारे में कुछ विशेष बातें
भगवान ब्रह्मा के केवल एक हजार नाम ही होते हैं, जबकि भगवान विष्णु और शिव के लाखों नाम होते हैं।
भगवान ब्रह्मा को पूजा में विशेष स्थान नहीं मिलता क्योंकि ब्रह्मा के प्रति श्रद्धा का एक कारण यह है कि वे बहुत कम दिखते हैं या उनकी पूजा परंपरा बहुत आम नहीं है।
11. निष्कर्ष
भगवान ब्रह्मा हिन्दू धर्म के बहुत महत्वपूर्ण देवता हैं और सृष्टि के रचनाकार के रूप में उनका स्थान अडिग है। हालांकि, उनके साथ जुड़ी कुछ कथाओं और श्रद्धा के कारण उनकी पूजा और प्रतिष्ठा बहुत अधिक नहीं है, फिर भी त्रिदेव में उनका स्थान अत्यधिक सम्मानजनक है।
आप इस जानकारी को विभिन्न हिन्दू शास्त्रों से प्राप्त कर सकते हैं, जैसे विष्णु पुराण, शिव पुराण, ब्रह्मा संहिता, और भगवद गीता।


भगवान् परशुराम
भगवान परशुराम हिन्दू धर्म के एक प्रसिद्ध देवता हैं, जो विशेष रूप से अपने उग्र रूप और ब्राह्मण-क्षत्रिय संघर्ष के कारण जाने जाते हैं। वे विष्णु के दस अवतारों में से एक, "परशुराम" के रूप में माने जाते हैं।
परशुराम का जन्म
भगवान परशुराम का जन्म ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वे महर्षि जमदग्नि और देवी रेणुका के पुत्र थे। परशुराम का नाम 'परशु' (कुल्हाड़ी) और 'राम' (राम का अर्थ है 'राम का रूप') से मिलकर पड़ा। उनके पास एक दिव्य परशु (कुल्हाड़ी) थी, जो उन्हें भगवान शिव से प्राप्त हुई थी।शिवजी से उन्हें श्रीकृष्ण का त्रैलोक्य विजय कवच, स्तवराज स्तोत्र एवं मन्त्र कल्पतरु भी प्राप्त हुए। चक्रतीर्थ में किये कठिन तप से प्रसन्न हो भगवान विष्णु ने उन्हें त्रेता में रामावतार होने पर तेजोहरण के उपरान्त कल्पान्त पर्यन्त तपस्यारत भूलोक पर रहने का वर दिया। वे शस्त्रविद्या के महान गुरु थे। उन्होंने भीष्म, द्रोण व कर्ण को शस्त्रविद्या प्रदान की थी। उन्होनें कर्ण को श्राप भी दिया था। उन्होंने एकादश छन्दयुक्त "शिव पंचत्वारिंशनाम स्तोत्र" भी लिखा। इच्छित फल-प्रदाता परशुराम गायत्री है-"ॐ जामदग्न्याय च विद्महे महावीराय च धीमहि, तन्नो परशुराम: प्रचोदयात्।"
परशुराम का रूप और गुण
भगवान परशुराम को भगवान विष्णु के अवतार के रूप में पूजा जाता है, जो पृथ्वी पर आदर्श धर्म और व्यवस्था की पुनर्स्थापना के लिए आए थे। उन्हें ब्राह्मणों का सम्मान और क्षत्रियों के अत्याचारों से पीड़ित लोगों के उद्धारक के रूप में चित्रित किया जाता है।
परशुराम की कथा
परशुराम की कथा विभिन्न पुराणों में मिलती है। सबसे प्रमुख कथा इस प्रकार है:
ब्राह्मणों का सम्मान: परशुराम का जीवन कर्तव्य और धर्म के पालन के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक था। एक दिन उन्होंने देखा कि क्षत्रिय राजाओं ने ब्राह्मणों और संतों का अपमान किया। इसलिए, परशुराम ने 21 बार पृथ्वी से क्षत्रियों का नाश किया और उनके अत्याचारों का प्रतिशोध लिया।
कष्ट का समय: जब परशुराम के पिता, महर्षि जमदग्नि का वध किया गया, तब उन्होंने अपनी कुल्हाड़ी से न केवल अपने पिता का प्रतिशोध लिया, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि इस अत्याचार का पुनरावृत्ति न हो। परशुराम ने कुल्हाड़ी लेकर कष्ट और अत्याचार के खिलाफ संघर्ष किया।
भगवान शिव से प्राप्त परशु: परशुराम ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की और उनसे दिव्य परशु प्राप्त की, जो उनकी ताकत का स्रोत बनी। इस परशु से उन्होंने कई राजाओं और अत्याचारी क्षत्रियों का वध किया।
परशुराम का महत्व
धर्म की रक्षा: परशुराम ने धर्म की रक्षा के लिए अत्याचारियों के खिलाफ युद्ध किया। वे सत्य और न्याय के पालनकर्ता थे, और उनका जीवन धर्म, आदर्श और कर्तव्य का प्रतीक बन गया।
तीर्थ यात्रा: परशुराम ने कई स्थानों पर तीर्थ यात्रा की और वहां धार्मिक अनुशासन की स्थापना की। वे आस्थावान और तपस्वी थे, जो लोगों को धार्मिक शिक्षाएं देते थे।
विष्णु के अवतार: भगवान परशुराम को विष्णु के अवतार के रूप में देखा जाता है, क्योंकि उन्होंने पृथ्वी पर धर्म की रक्षा के लिए अत्याचारियों का नाश किया और व्यवस्था स्थापित की।
परशुराम के साथ जुड़े प्रमुख स्थल
परशुराम कुंड: यह स्थल हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित है, जहां परशुराम ने अपने तप की शुरुआत की थी। यह एक प्रमुख तीर्थ स्थल है।
परशुरामेश्वर मंदिर: इस मंदिर की स्थापना भगवान परशुराम ने की थी और यह दक्षिण भारत में स्थित है।
स्रोत
विष्णु पुराण
भागवत पुराण
महाभारत
रामायण (कुछ संस्करणों में)
भगवान परशुराम का चरित्र भारतीय इतिहास और संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, और उनकी कर्तव्य, धर्म और आदर्श के प्रति निष्ठा का उदाहरण आज भी लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत है।


चाणक्य
चाणक्य, कौटिल्य, विष्णुगुप्त और कात्यायन ये सभी नाम एक ही महान व्यक्तित्व के हैं, जो भारतीय इतिहास में एक महान शिक्षक, कूटनीतिज्ञ, राजनीतिज्ञ और लेखक के रूप में प्रसिद्ध हैं। हालांकि इन नामों में कुछ भिन्नताएँ हैं, ये सभी एक ही व्यक्ति के विभिन्न नाम हैं। आइए हम प्रत्येक नाम और इसके महत्व को समझें।
1. विष्णुगुप्त (Vishnugupta)
विष्णुगुप्त वह असली नाम था, जिसे चाणक्य का जन्म नाम माना जाता है। यह नाम उनकी जन्मजात पहचान का प्रतीक था। यह नाम उनके परिवार और गोत्र से जुड़ा हुआ था, और इस नाम से वे शास्त्रों और वेदों के विशेषज्ञ थे।
विशेषता: विष्णुगुप्त का पालन-पोषण एक विद्वान परिवार में हुआ था और वे अपने समय के महानतम शिक्षकों में से एक थे।
किताबें और योगदान: विष्णुगुप्त ने अर्थशास्त्र और चाणक्य नीति जैसे महत्वपूर्ण ग्रंथों की रचना की, जो आज भी भारतीय राजनीति, शासन, कूटनीति और जीवन के मूल्य निर्धारण में अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
2. कौटिल्य (Kautilya)
कौटिल्य चाणक्य का एक अन्य नाम है, जिसे उनके गोत्र से जोड़ा जाता है। वे कौटिल्य गोत्र के थे, और इस नाम से उन्हें भारतीय इतिहास में व्यापक पहचान मिली।
कौटिल्य गोत्र: चाणक्य का जन्म कात्यायन गोत्र में हुआ था, लेकिन उनकी विद्वता और राजनीतिक दृष्टिकोण के कारण उन्हें कौटिल्य नाम से जाना गया।
अर्थशास्त्र: चाणक्य के द्वारा लिखा गया अर्थशास्त्र इसी नाम से प्रसिद्ध है, जिसमें राजनीति, युद्ध, व्यापार और कूटनीति के सिद्धांत बताए गए हैं। कौटिल्य नाम से यह ग्रंथ प्रसिद्ध हुआ क्योंकि उनकी राजनीतिक सोच और कार्यों ने उन्हें यह नाम दिलवाया।
3. कात्यायन (Katyayan)
कात्यायन चाणक्य का एक अन्य नाम है, जो उनके गोत्र से जुड़ा हुआ है। चाणक्य का वास्तविक नाम कात्यायन था, और वे कात्यायन गोत्र से थे।
कात्यायन गोत्र: यह गोत्र ब्राह्मणों के एक प्रमुख गोत्र के रूप में जाना जाता था। चाणक्य के इस नाम से उनके विद्वान और धार्मिक पक्ष की पहचान होती है।
उपनिषदों और वेदों के ज्ञाता: कात्यायन के रूप में चाणक्य ने अपने जीवन के शुरुआती वर्षों में धार्मिक और वेदों से संबंधित अध्ययन किया। उनका विद्वान रूप इसी नाम से जुड़ा हुआ था।
4. चाणक्य (Chanakya)
चाणक्य उनका सबसे प्रसिद्ध नाम है, जो वे भारतीय इतिहास में राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तन लाने के लिए प्रसिद्ध हुए। यह नाम उनके कार्यों और व्यक्तित्व से जुड़ा हुआ है।
राजनीतिक और कूटनीतिक दृष्टिकोण: चाणक्य का नाम मुख्य रूप से उनके राजनीतिक नीतियों, कूटनीति और राज्य प्रबंधन के लिए जाना जाता है। उन्होंने चंद्रगुप्त मौर्य को मौर्य साम्राज्य की गद्दी पर बैठाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
चाणक्य नीति और अर्थशास्त्र: चाणक्य ने दो प्रमुख ग्रंथों की रचना की: चाणक्य नीति और अर्थशास्त्र, जो आज भी राजनीति, समाज और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
**चाणक्य** (जो कात्यायन भी कहलाए) प्राचीन भारत के एक महान नीति विशेषज्ञ, शिक्षक, अर्थशास्त्री और कूटनीतिज्ञ थे। उन्हें अक्सर "आचार्य चाणक्य" के रूप में पहचाना जाता है। उनका योगदान भारतीय इतिहास, राजनीति, और समाजशास्त्र में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। चाणक्य ने भारत में मौर्य साम्राज्य की नींव रखी और सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य को गद्दी पर बिठाने में मदद की। चाणक्य की नीति, अर्थशास्त्र और राजनीति पर की गई लेखन को आज भी "चाणक्य नीति" और "अर्थशास्त्र" के रूप में पढ़ा और जाना जाता है।
#### चाणक्य का जीवन
चाणक्य का जन्म लगभग 375-350 ईसा पूर्व के आस-पास हुआ था। वे नालंदा विश्वविद्यालय के एक विद्वान शिक्षक थे। चाणक्य के बारे में कहा जाता है कि उनका असली नाम "कात्यायन" था और वे कात्यायन गोत्र के थे। चाणक्य का व्यक्तित्व और उनकी रणनीति बेहद कुशल थी, और उन्होंने भारतीय राजनीति और समाज में बहुत प्रभाव डाला। चाणक्य ने मौर्य साम्राज्य की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
#### चाणक्य का "अर्थशास्त्र"
चाणक्य का **अर्थशास्त्र** (Arthashastra) एक अत्यंत प्रसिद्ध ग्रंथ है जो राजनीति, शासन, युद्ध, कूटनीति, और आर्थिक नीति पर आधारित है। इस ग्रंथ में चाणक्य ने राज्य की संरचना, कर्तव्यों, अधिकारियों की भूमिका, युद्ध की रणनीति, और राजनीति के अनगिनत पहलुओं पर विस्तृत जानकारी दी है।
चाणक्य ने यह स्पष्ट किया कि एक राजा को अपनी शक्ति को बनाए रखने के लिए अपनी नीति में दृढ़ और प्रभावी होना चाहिए। अर्थशास्त्र आज भी कई विश्व विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता है और यह आर्थिक प्रबंधन, राजनीति, और कूटनीति में एक अमूल्य धरोहर के रूप में माना जाता है।
#### चाणक्य नीति (Chanakya Neeti)
चाणक्य नीति चाणक्य के जीवन के अनुभवों और उनके द्वारा व्यक्त की गई राजनीतिक और सामाजिक सूक्तियों का संग्रह है। इसमें उन्होंने जीवन के विभिन्न पहलुओं जैसे रिश्ते, धर्म, राजनीति, कार्यकुशलता, और रणनीतिक सोच पर गहरे विचार किए हैं। चाणक्य नीति की सूक्तियाँ आज भी जीवन के लिए मार्गदर्शन प्रदान करती हैं।
### चाणक्य नीति के कुछ प्रमुख उद्धरण
1. **"जिस व्यक्ति ने अपनी आँखों में सपना देखा है, वही सपने को साकार करने की ताकत रखता है।"**
* यह उद्धरण हमें यह सिखाता है कि केवल अपने लक्ष्यों के प्रति दृढ़ विश्वास रखने वाला व्यक्ति ही सफलता प्राप्त कर सकता है।
2. **"सभी सुखों में सबसे बड़ा सुख, किसी से बिना किसी स्वार्थ के प्यार करना है।"**
* यह नीति हमें जीवन में सच्चे प्रेम और समर्पण का मूल्य सिखाती है।
3. **"जिसे कोई नहीं जानता, वह बहुत कमतर होता है, लेकिन जिसे सब जानते हैं, वह महान बन जाता है।"**
* यह उद्धरण बताता है कि समाज में पहचान बनाना भी बहुत महत्वपूर्ण है।
4. **"शत्रु के सामने मुस्कुराओ, परंतु उसके सामने कभी कमजोर मत दिखाओ।"**
* यह नीति कूटनीतिक सफलता को हासिल करने की एक महत्वपूर्ण सलाह देती है।
5. **"जो समय के साथ बदलते नहीं, वे समय के साथ नष्ट हो जाते हैं।"**
* यह हमें समय के साथ अनुकूलित होने की आवश्यकता की ओर इशारा करता है।
#### चाणक्य नीति के कुछ और महत्वपूर्ण सिद्धांत
* **कर्म ही सर्वोत्तम है:** चाणक्य के अनुसार केवल उद्देश्यपूर्ण कर्म ही व्यक्ति को सम्मान दिला सकते हैं।
* **शिक्षा का महत्व:** चाणक्य शिक्षा को जीवन का सबसे मूल्यवान धन मानते थे, क्योंकि शिक्षा से ही व्यक्ति का विकास होता है।
* **राजनीति की कूटनीति:** चाणक्य राजनीति को अत्यंत सजग और चौकस तरीके से करने की सलाह देते थे। उनका मानना था कि प्रत्येक कदम सोच-समझ कर उठाना चाहिए।
### चाणक्य के योगदान के स्रोत
1. **अर्थशास्त्र (Arthashastra)** - यह ग्रंथ चाणक्य के विचारों और नीति का संकलन है, जिसमें राजनीति, समाजशास्त्र, और आर्थिक सिद्धांतों का वर्णन किया गया है।
2. **चाणक्य नीति (Chanakya Neeti)** - यह चाणक्य के जीवन के अनुभव और उनकी राजनीति, समाज और कूटनीति पर आधारित नीतियों का संग्रह है।
### चाणक्य के सिद्धांतों का महत्व आज के समय में
चाणक्य की नीतियाँ आज भी कई परिस्थितियों में प्रासंगिक हैं, विशेष रूप से राजनीति, प्रशासन, और व्यक्तिगत जीवन में। उनके विचारों ने भारतीय समाज में एक स्थिर और मजबूत शासन व्यवस्था की स्थापना की। इसके अलावा, चाणक्य के आर्थिक और राजनीतिक विचारों ने भी आधुनिक समय में कई नीति निर्धारण प्रक्रियाओं को प्रभावित किया है।
#### अंत में
चाणक्य का जीवन और उनका दृष्टिकोण आज भी हम सब के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनके सिद्धांतों को समझकर हम अपने व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।


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